राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता (बीबीएनजे) क्या है ?biological diversity in areas beyond national jurisdiction

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता (बीबीएनजे) समझौते पर भारत के हस्ताक्षर को मंजूरी दी है। यह निर्णय समुद्री जैव विविधता के संरक्षण और सतत उपयोग के लिए महत्वपूर्ण है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय इस समझौते के कार्यान्वयन का नेतृत्व करेगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध है। बीबीएनजे समझौता, जो संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) के तहत है, महासागर में समुद्री जैव विविधता के दीर्घकालिक संरक्षण पर जोर देता है। यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देता है और समुद्री संसाधनों के उचित और न्यायसंगत बंटवारे को सुनिश्चित करता है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने बताया कि बीबीएनजे समझौता भारत को अपनी रणनीतिक उपस्थिति बढ़ाने, समुद्री संरक्षण को मजबूत करने, और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए नए रास्ते खोलने में मदद करेगा।

यूएनसीएलओएस के तहत यह तीसरा कार्यान्वयन समझौता होगा और इसका उद्देश्य महासागरों के सतत उपयोग और संरक्षण को सुनिश्चित करना है। बीबीएनजे समझौते पर मार्च 2023 में सहमति हुई थी और सितम्बर 2023 से दो वर्षों के लिए हस्ताक्षर के लिए खुला है। जून 2024 तक, 91 देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं।

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीबीएनजे समझौते पर भारत के हस्ताक्षर को मंजूरी दी।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में इस फैसले को लिया गया।
  • यह निर्णय समुद्री जैव विविधता के संरक्षण और स्थायी उपयोग के लिए है।
  • राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे समुद्री संसाधनों के उपयोग को नियंत्रित करेगा।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय इस समझौते के कार्यान्वयन की अगुवाई करेगा।
  • बीबीएनजे समझौता संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) के तहत है।
  • इसका उद्देश्य महासागर में जैव विविधता का दीर्घकालिक संरक्षण करना है।
  • भारत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और कानून के शासन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • यह समझौता समुद्री पर्यावरण पर प्रभावों को कम करने और पर्यावरणीय प्रभाव आकलन के लिए नियम स्थापित करेगा।
  • बीबीएनजे समझौता कई सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में योगदान देगा।
  • इस समझौते से भारत को समुद्री संरक्षण, वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास में लाभ मिलेगा।
  • बीबीएनजे समझौता यूएनसीएलओएस के तहत तीसरा कार्यान्वयन समझौता होगा।