भारत के NGO Educate Girls को इस साल का Ramon Magsaysay पुरस्कार दिया गया है। यह पुरस्कार पहली बार भारत के किसी संगठन को दिया गया है। इस से पहले किरण बेदी , अरविन्द केजरीवाल , रविश कुमार , Bezwada Wilson और सोनम वांगचुक जैसी शख्शियतों को दिया जा चुका है।
रैमन मैगसेसे पुरस्कार फाउंडेशन (RMAF) के एक आधिकारिक बयान में कहा गया “Educate Girls लड़कियों और युवा महिलाओं की शिक्षा के माध्यम से सांस्कृतिक सोच या रूढ़िवादिता को दूर करने, उन्हें अशिक्षा की बेड़ियों से मुक्त करने और उनमें कौशल, साहस और आत्मनिर्णय की भावना भरने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि वे अपनी पूरी मानव क्षमता प्राप्त कर सकें।”
एजुकेट गर्ल्स की शुरुआत कैसे हुई ?
एजुकेट गर्ल्स की स्थापना सफीना हुसैन ने 2007 में की थी। वे लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की स्नातक हैं और पहले सैन फ्रांसिस्को में काम कर रही थीं, पर भारत लौटकर ग्रामीण लड़कियों की निरक्षरता की समस्या को हल करने का निर्णय लिया।
राजस्थान के दूरदराज इलाकों से शुरू कर, एजुकेट गर्ल्स ने सबसे पिछड़े इलाकों की जरूरतमंद लड़कियों को चिह्नित कर, उन्हें स्कूल में दाखिला दिलवाया और उनकी पढ़ाई जारी रखने की हर संभव कोशिश की ताकि वे उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें।
2015 में संस्था ने दुनिया का पहला विकास प्रभाव बंधन (DIB) शुरू किया, जिससे आर्थिक मदद को प्राप्त शैक्षिक परिणामों से जोड़ा गया। शुरुआत के 50 पायलट गांवों से बढ़कर अब यह संस्था भारत के अत्यधिक वंचित इलाकों के 30,000 से अधिक गांवों तक फैली है, जिससे 20 लाख से ज्यादा लड़कियों को लाभ हुआ और इनका रिटेंशन रेट 90 फीसदी से ज्यादा है।
इस संगठन ने ‘प्रगति’ नामक खुला स्कूलिंग कार्यक्रम भी शुरू किया है, जिसमें 15-29 वर्ष की युवतियों को उनकी शिक्षा पूरी कर भविष्य के बेहतर अवसरों के लिए सक्षम बनाया जाता है। इसकी शुरुआती बैच 300 थी और अब इसमें 31,500 से ज्यादा लड़कियाँ नामांकित हैं।
संस्थापक सफीना हुसैन ने इसे “एजुकेट गर्ल्स और भारत दोनों के लिए ऐतिहासिक क्षण” बताया। उन्होंने कहा, “यह सम्मान भारत की बेटियों की शिक्षा के लिए चल रहे जनआंदोलन को ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर लाता है, जिसकी शुरुआत सबसे दूरदराज गांव की एक लड़की से हुई थी।”
रैमन मैगसेसे पुरस्कार क्या है?
रैमन मैगसेसे पुरस्कार को एशिया का नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है। इसकी शुरुआत 1958 में हुई थी और यह पुरस्कार एशिया में उत्कृष्ट नेतृत्व और सामुदायिक योगदान के लिए दिया जाता है।
यह पुरस्कार 1957 में अमेरिकन रॉकफेलर परिवार द्वारा बनाए गए रॉकफेलर ब्रदर्स फंड के ट्रस्टी और फिलीपींस सरकार द्वारा स्थापित किया गया था। पिछले कई दशकों में 300 से अधिक व्यक्तियों और संस्थाओं को यह पुरस्कार मिल चुका है। यह हर साल 31 अगस्त को, फिलीपींस के पूर्व राष्ट्रपति रैमन मैगसेसे की जयंती पर दिया जाता है।
रैमन मैगसेसे अवॉर्ड फाउंडेशन (RMAF) के ट्रस्टी एक गोपनीय नामांकन और जांच प्रक्रिया के बाद विजेताओं का चयन करते हैं। विजेता को प्रमाणपत्र (certificate) और एक मेडल (जिस पर रैमन मैगसेसे की प्रोफाइल उकेरी होती है) औपचारिक समारोह में मनीला, फिलीपींस में हर साल नवंबर में दिया जाता है।
रैमन मैगसेसे कौन थे?
रैमन डेल फियर्रो मैगसेसे फिलीपींस के सातवें राष्ट्रपति थे।
रैमन का जन्म 31 अगस्त 1907 को हुआ था। उनके पिता लोहार थे और माँ शिक्षिका थी । मैगसेसे ने अपने करियर की शुरुआत एक ऑटोमोबाइल मैकेनिक के रूप में की थी। द्वितीय विश्व युद्ध (1941-1945) के दौरान उन्हें लड़ाई के लिए बुलाया गया।
इस युद्ध के दौरान जापान ने लगभग चार साल तक फिलीपींस पर कब्जा कर लिया था, जो उस समय अमेरिका का उपनिवेश था। बाद में, 1946 में, अमेरिका ने फिलीपींस को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी।
रैमन मैगसेसे ने जापानी कब्ज़े के खिलाफ गुरिल्ला लड़ाई लड़ी और अपनी वीरता और नेतृत्व के कारण उन्हें सैन्य गवर्नर नियुक्त किया गया। 1946 में वे लिबरल पार्टी से फिलीपींस की संसद (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) में दो बार चुने गए। 1950 में उन्हें नेशनल डिफेंस सेक्रेटरी (रक्षा मंत्री) बनाया गया।
30 दिसंबर 1953 को वे नैशनलिस्ट पार्टी (फिलीपींस की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी) के अध्यक्ष और फिलीपींस के राष्ट्रपति बने। राष्ट्रपति बनने के कुछ ही समय बाद, 1957 में एक विमान दुर्घटना में उनका निधन हो गया।