तमिलनाडु के कन्याकुमारी में भारत का पहला कांच का पुल अब जनता के लिए खुल गया है। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सोमवार को इस पुल का उद्घाटन किया, जो विवेकानंद रॉक मेमोरियल और तिरुवल्लुवर प्रतिमा को जोड़ता है।
यह पुल 77 मीटर लंबा और 10 मीटर चौड़ा है, जिसमें 2.5 मीटर चौड़ा कांच का फर्श है।
पुल की पारदर्शी सतह से पर्यटक नीचे समुद्र का सुंदर दृश्य देख सकते हैं, जो एक रोमांचक अनुभव प्रदान करता है।
इस परियोजना की लागत 37 करोड़ रुपये है, और इसका उद्घाटन 30 दिसंबर को तिरुवल्लुवर प्रतिमा की रजत जयंती के अवसर पर किया गया।
पहले, पर्यटकों को विवेकानंद स्मारक और तिरुवल्लुवर प्रतिमा के बीच यात्रा के लिए नौका सेवा का उपयोग करना पड़ता था। अब, इस कांच के पुल के माध्यम से वे आसानी से पैदल चलकर इन दोनों स्मारकों के बीच आ-जा सकते हैं, जिससे यात्रा समय कम होगा और अनुभव अधिक सुखद होगा।
पुल को धनुषाकार डिजाइन में बनाया गया है, जो न केवल देखने में आकर्षक है, बल्कि समुद्री वातावरण की कठोर परिस्थितियों का सामना करने में भी सक्षम है। यह पुल समुद्र की लवणीय हवा और उच्च आर्द्रता के प्रभावों का प्रतिरोध करने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है।
इस पुल के उद्घाटन से कन्याकुमारी में पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, क्योंकि यह पर्यटकों को समुद्र के ऊपर चलने का एक अनोखा और रोमांचक अनुभव प्रदान करता है।
इस कांच के पुल के उद्घाटन के साथ, कन्याकुमारी में पर्यटन को एक नई दिशा मिली है, जो आधुनिक इंजीनियरिंग और सांस्कृतिक धरोहर का सुंदर संगम प्रस्तुत करता है।
इस पुल के उद्घाटन के अवसर पर, मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने पुल पर चलकर इसका निरीक्षण भी किया।
इस पुल के निर्माण में अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है, जिससे यह समुद्री पर्यावरण की कठोर परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम है।
इस पुल के माध्यम से, पर्यटक अब बिना नौका सेवा के सीधे विवेकानंद स्मारक से तिरुवल्लुवर प्रतिमा तक पहुंच सकते हैं, जिससे उनकी यात्रा अधिक सुगम और आनंददायक होगी।
इस पुल के उद्घाटन के साथ, कन्याकुमारी में पर्यटन को एक नई दिशा मिली है, जो आधुनिक इंजीनियरिंग और सांस्कृतिक धरोहर का सुंदर संगम प्रस्तुत करता है।
इस पुल के माध्यम से, पर्यटक अब बिना नौका सेवा के सीधे विवेकानंद स्मारक से तिरुवल्लुवर प्रतिमा तक पहुंच सकते हैं, जिससे उनकी यात्रा अधिक सुगम और आनंददायक होगी।
इस पुल के उद्घाटन के अवसर पर, मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने पुल पर चलकर इसका निरीक्षण भी किया।
इस पुल के निर्माण में अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है, जिससे यह समुद्री पर्यावरण की कठोर परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम है।