तमिलनाडु सरकार ने सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि को समझने वाले व्यक्ति दस लाख डॉलर का इनाम देने की घोषणा की है।
विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता की खोज सर जॉन मार्शल के नेतृत्व में पुरातत्वविदों द्वारा 1920 के दशक की शुरुआत में की थी। इसकी खोज के बाद से सिंधु घाटी सभ्यता की गूढ़ लिपि अब तक पढ़ा नहीं जा सका है
सिंधु घाटी सभ्यता (3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व), जो लगभग 5,000 साल पहले भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर और उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में फली-फूली थी।
यदि स्क्रिप्ट को डिकोड किया जाता है, तो यह सिंधु घाटी सभ्यता के वास्तविक इतिहास और इसके सामाजिक-आर्थिक संबंधों का अनावरण कर सकता है। यह सिंधु घाटी सभ्यता से दक्षिण की ओर संभावित प्रवास पर प्रकाश डाल सकता है, जो देर से हड़प्पा चरण के पतन के साथ मेल खाता है।
सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization)
- सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक थी।
- इसका विकास लगभग 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व के बीच हुआ।
- इसे हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है क्योंकि इसकी खोज सबसे पहले 1921 में हड़प्पा (पंजाब, पाकिस्तान) में हुई थी।
- स्थान और विस्तार:
- यह सभ्यता वर्तमान पाकिस्तान, पश्चिमोत्तर भारत और पूर्वी अफगानिस्तान के क्षेत्रों में फैली हुई थी।
- प्रमुख शहर: हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल, कालीबंगा, राखीगढ़ी, चन्हुदड़ो।
- सभ्यता का क्षेत्रफल लगभग 12 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला था।
- शहरी नियोजन:
- शहरों की योजना ग्रिड पैटर्न पर आधारित थी।
- पक्की ईंटों से बने घर और चौड़ी सड़कों का निर्माण।
- कुशल जल निकासी प्रणाली, स्नानागार और कुंओं की व्यवस्था।
- मोहनजोदड़ो में एक विशाल सार्वजनिक स्नानागार (ग्रेट बाथ) का अस्तित्व।
- आर्थिक व्यवस्था:
- कृषि मुख्य व्यवसाय था।
- फसलें: गेहूं, जौ, कपास, मटर।
- व्यापारिक गतिविधियाँ उन्नत थीं, और मेसोपोटामिया जैसे दूरस्थ क्षेत्रों के साथ व्यापार होता था।
- तांबा, कांसा, सोना, चांदी और पत्थरों का उपयोग।
- धार्मिक जीवन:
- किसी विशेष धर्म के प्रमाण नहीं मिले।
- मातृदेवी (मदर गॉडेस) और पशुपति (शिव) की पूजा के प्रमाण।
- वृक्ष और पशुओं जैसे पीपल, बैल, और यूनिकॉर्न की पूजा।
- लिपि और भाषा:
- हड़प्पा लिपि का उपयोग किया गया, जो अब तक पूर्णतः पढ़ी नहीं जा सकी।
- भाषा और लेखन प्रणाली के बारे में सीमित जानकारी।
- कला और शिल्प:
- मूर्तिकला, मिट्टी के बर्तन, धातु और पत्थर के गहने।
- नृत्य करती हुई लड़की की कांस्य मूर्ति और पाषाण मूर्तियाँ प्रसिद्ध।
- खिलौने, मुहरें, और सजावटी वस्तुओं का निर्माण।
- सामाजिक जीवन:
- समाज वर्गीकृत था, जिसमें शासक वर्ग, व्यापारी, किसान और शिल्पकार शामिल थे।
- लोग सादा जीवन जीते थे।
- स्त्रियों की स्थिति अच्छी थी।
- विलुप्ति के कारण:
- सभ्यता के पतन के ठोस कारण अज्ञात हैं।
- संभावित कारण: जलवायु परिवर्तन, बाढ़, भूकंप, सरस्वती नदी का सूखना, आर्यन आक्रमण।
- महत्त्व:
- यह सभ्यता प्राचीन भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर है।
- इसका योगदान शहरीकरण, वास्तुकला, और व्यापारिक प्रथाओं के विकास में महत्वपूर्ण है।