राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार (5 जुलाई 2024) को सशस्त्र बलों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश पुलिस के कर्मियों को 36 वीरता पुरस्कार Gallantry awards प्रदान किए। ये पुरस्कार आज शाम नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में रक्षा अलंकरण समारोह (चरण-1) के दौरान प्रदान किए गए।
वीरता पुरस्कारों में दस कीर्ति चक्र और 26 शौर्य चक्र शामिल हैं। इनमें से सात कर्मियों को मरणोपरांत कीर्ति चक्र और सात को मरणोपरांत शौर्य चक्र प्रदान किए गए। कर्मियों को ये पुरस्कार विशिष्ट वीरता, अदम्य साहस और कर्तव्य के प्रति अत्यधिक समर्पण दिखाने के लिए दिए गए।
वीरता पुरस्कार ( Gallantry Awards ) क्या हैं , और ये कब दिए जाते हैं ?
भारत में वीरता पुरस्कार सेना के जवानों को उनके अदम्य साहस और शौर्य के लिए दिए जाते हैं. ये पुरस्कार युद्ध के समय और शांति के समय दोनों में दिखाई गई वीरता को सम्मानित करते हैं. साथ ही, ये पुरस्कार भारतीय सशस्त्र बल, अर्धसैनिक बल और आम नागरिकों की निस्वार्थ सेवा और बलिदान को भी स्वीकार करते हैं.
भारत में छह वीरता पुरस्कार हैं, जिन्हें अलग-अलग समय पर स्थापित किया गया है.
पुरस्कारों की वरीयता के अनुसार क्रम :-
परमवीर चक्र (पीवीसी): यह युद्ध के समय दिया जाने वाला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है. इसे युद्ध भूमि, समुद्र या वायु में दुश्मन के सामने अदम्य साहस दिखाने या असाधारण वीरता या आत्म बलिदान के लिए दिया जाता है.
अशोक चक्र: यह शांति के समय दिया जाने वाला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है. इसे जमीन, समुद्र या वायु में अत्यधिक खतरे की परिस्थिति में सबसे विशिष्ट बहादुरी या आत्म बलिदान के लिए दिया जाता है.
महावीर चक्र (एमवीसी): यह युद्ध के समय दिया जाने वाला दूसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है. इसे युद्ध भूमि, समुद्र या वायु में दुश्मन के सामने विशिष्ट वीरता के कार्यों के लिए दिया जाता है.
कीर्ति चक्र: यह शांति के समय दिया जाने वाला दूसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है. इसे दुश्मन के सामने नहीं बल्कि किसी अन्य खतरनाक परिस्थिति में विशिष्ट वीरता के प्रदर्शन के लिए दिया जाता है.
वीर चक्र: यह युद्ध के समय दिया जाने वाला तीसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है. इसे युद्ध भूमि, समुद्र या वायु में दुश्मन के सामने वीरता के कार्यों के लिए दिया जाता है.
शौर्य चक्र: यह शांति के समय दिया जाने वाला तीसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है. इसे दुश्मन के सामने नहीं बल्कि किसी अन्य खतरनाक परिस्थिति में वीरता के प्रदर्शन के लिए दिया जाता है.