सरकार ने “अहितकर वस्तुओं ( सिन गुड्स Sin Goods ) ” और कुछ विलासिता की वस्तुओं के लिए 40% का नया वस्तु एवं सेवा कर (GST) स्लैब पेश किया है, जो इस व्यवस्था में सबसे ऊँचा है। नए GST सुधारों के तहत केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित इस नए ढांचे में ज़्यादातर वस्तुओं पर कर की दर घटाकर 5% और 18% कर दी गई है ।
सिन गुड्स का अर्थ:
‘सिन गुड्स’ वे उत्पाद हैं जो समाज या स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह माने जाते हैं। इनमें मुख्य रूप से तम्बाकू, गुटखा, पान मसाला, शराब और अत्यधिक शर्करा युक्त ड्रिंक (जैसे कोल्ड्रिंक आदि) शामिल हैं। दुनिया भर की सरकारें इन उत्पादों की बिक्री और सेवन को कम करने के लिए इन पर भारी टैक्स लगाती हैं। इस तरह के टैक्स को ‘सिन टैक्स’ (Sin Tax) भी कहा जाता है।
भारत में इन पर सबसे अधिक GST क्यों?
भारत में हमेशा से ही इन उत्पादों पर सबसे ऊँचे GST दरें लागू रही हैं। पहले इन पर 28% तक GST था, साथ ही सरकार इन पर Compensation Cess (अतिरिक्त कर) भी लगाती थी। अब Compensation Cess को समाप्त कर दिया गया है और इन वस्तुओं को एक नए 40% GST स्लैब (फीका) के अंतर्गत रखा गया है। इसका अर्थ यह है कि अब इन वस्तुओं पर कुल मिलाकर 40% तक टैक्स लिया जाएगा।
‘स्पेशल रेट’ या विशेष दर का कारण:
40% का स्लैब विशेष छूट के बिना केवल ‘सिन गुड्स’ और कुछ लक्जरी उत्पादों पर ही लागू होता है। इसका दो मुख्य उद्देश्य हैं:
- Cess समाप्त होने से पहले इन वस्तुओं पर जितना टैक्स लगता था, वे बराबर रहें; टैक्स घटे नहीं।
- इन वस्तुओं का अधिक सेवन स्वास्थ्य, समाज या युवा वर्ग के लिए घातक है, इसलिए अधिक टैक्स लगाकर इनका इस्तेमाल कम करना लक्ष्य है।
कौन-कौनसी वस्तुएं 40% स्लैब में हैं?
इन वस्तुओं पर 40% GST लगता है:
- पान मसाला
- सिगरेट, तम्बाकू, गुटखा
- चबाने वाला बिना प्रोसेस्ड तम्बाकू और बचे हुए तम्बाकू
- सिगार, सिगारिलो (छोटी सिगार)
- तम्बाकू के विकल्प
- एरेटेड व कार्बोनेटेड ड्रिंक (जैसे कोल्ड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक)
- कैफिन युक्त पेय
- बड़ी कार (पेट्रोल-1200 सीसी, डीजल-1500 सीसी से ऊपर)
- बड़ी मोटरसाइकिलें (350 सीसी से ऊपर)
- यॉट (निजी नौकाएं), निजी उपयोग के लिए विमान, रेसिंग कार
- ऑनलाइन जुआ और ऑनलाइन गेमिंग से होने वाला राजस्व
GST में मुख्य सुधार और नया स्लैब:
GST काउंसिल ने 12% और 28% स्लैब को हटा दिया है। अब सिर्फ 5% और 18% टैक्स स्लैब हैं। जिन चीजों पर पहले 28% टैक्स लगता था, वे अब कम स्लैब (18%) में आ जाएँगी—सिर्फ ‘सिन गुड्स’ और लक्जरी प्रोडक्ट ही 40% स्लैब में रहेंगे। आम उपभोक्ता वस्तुएं जैसे टूथपेस्ट, साबुन, शैम्पू, छोटी कारें, टीवी, एसी, दवाइयाँ, मेडिकल-ग्रेड ऑक्सीजन वगैरह अब या तो टैक्स मुक्त होंगी या सिर्फ 5% टैक्स में आएंगी।
सरकार समाज और स्वास्थ्य के हित के लिए ऐसे सामानों पर उच्चतम टैक्स लगाती है ताकि इनका इस्तेमाल घटे। इससे एक ओर सरकार को राजस्व भी मिलता है और दूसरी ओर लोगों को इनका सेवन करने से हतोत्साहित किया जा सकता है। बाकी स्लैब हटाने की वजह से आम लोगों के लिए जरूरी सामान सस्ता होने की संभावना है ।