NATO Summit 2024 – NATO क्या है , और ये बैठक क्यों महत्वपूर्ण है ?

gkadda

Updated on:

NATO Summit 2024

NATO इस साल गठबंधन की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मन रहा है। नाटो के सभी प्रमुख 32 भागीदार सदस्य देशों के नेता नाटो शिखर सम्मेलन के लिए वाशिंगटन डी.सी. में एकत्र हो रहे हैं।

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच यह सम्मलेन और भी महत्वपूर्ण हो गया है।

शिखर सम्मेलन, वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य के सामने नाटो की निरंतर एकता और शक्ति प्रदर्शन करने पर केंद्रित है।

इस बार चर्चा का एक प्रमुख क्षेत्र 2023 विनियस शिखर सम्मेलन में अपनाई गई नई रक्षा योजनाओं का चल रहा कार्यान्वयन है, जिसका उद्देश्य संभावित खतरों को रोकने और नाटो क्षेत्र के हर इंच की रक्षा करने के लिए संबद्ध तैयारियों को मजबूत करना है।

अमेरिका के राष्ट्रपति बिडेन ने नाटो संधि के अनुच्छेद 5, सामूहिक रक्षा के सिद्धांत के प्रति संयुक्त राज्य अमेरिका की अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की है, अनुच्छेद 5 में एक सदस्य पर हमला सभी पर हमला माना जाता है।

नेताओं से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे भारत-प्रशांत क्षेत्र से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का समाधान करें, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड के प्रतिनिधि चर्चा में भाग लेंगे। चीनी की बढ़ती आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए इन देशों के साथ सहयोग को मजबूत करना महत्वपूर्ण माना जाता है।

यूक्रेन में युद्ध फोकस का एक और प्रमुख बिंदु है।हालां कि यूक्रेन नाटो का सदस्य नहीं है,नाटो गठबंधन ने पूरे संघर्ष के दौरान यूक्रेन को महत्वपूर्ण सैन्य और मानवीय सहायता प्रदान की है। सम्मलेन में इस बात पर चर्चा केंद्रित होने की संभावना है कि नाटो यूक्रेन के रक्षा प्रयासों का समर्थन कैसे जारी रख सकता है और दीर्घकालिक क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित कर सकता है।

दुनिया की नज़रों को ध्यान में रखते हुए, 2024 नाटो शिखर सम्मेलन से एकता और संकल्प का एक मजबूत संदेश देने की उम्मीद है क्योंकि गठबंधन भविष्य के लिए एक रास्ता तैयार कर रहा है।

NATO क्या है ?

NATO ( नेटो ) का पूरा नाम full name ” North Atlantic Treaty Organization ” है।

यह एक अंतरराष्ट्रीय सैन्य गठबंधन है, जिसकी स्थापना 4 अप्रैल 1949 को हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों की सामूहिक रक्षा और शांति बनाए रखना है। अगर किसी सदस्य देश पर हमला होता है, तो उसे सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाता है और सभी मिलकर उस देश की रक्षा करते हैं। इसे सामूहिक रक्षा सिद्धांत कहा जाता है, जो NATO के अनुच्छेद 5 में उल्लेखित है। नाटो की अपनी कोई अलग सेना नहीं होती, लेकिन सभी सदस्य देश आपस में मिलकर मदद करते हैं।

NATO में उत्तरी अमेरिका और यूरोप के कुल 32 देश सदस्य हैं। इनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, तुर्की, और कई अन्य देश शामिल हैं। सदस्य देश मिलकर सुरक्षा और सैन्य मामलों पर सहयोग करते हैं और अपनी सेनाओं को आधुनिक और सक्षम बनाए रखते हैं। यह संगठन न केवल सैन्य, बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक मामलों में भी सदस्य देशों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करता है।

NATO का मुख्यालय बेल्जियम के ब्रुसेल्स शहर में स्थित है। इस संगठन के महासचिव (Secretary General) का काम सभी सदस्य देशों के बीच समन्वय करना और संगठन की गतिविधियों का नेतृत्व करना है। NATO नियमित रूप से बैठकें आयोजित करता है, जिसमें सदस्य देशों के नेता और रक्षा मंत्री भाग लेते हैं और सुरक्षा मामलों पर चर्चा करते हैं।

NATO (नेटो) की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 4 अप्रैल 1949 को हुई थी। इसकी स्थापना के पीछे मुख्य उद्देश्य दुनिया में शांति और सुरक्षा बनाए रखना और सोवियत संघ के बढ़ते प्रभाव को रोकना था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, यूरोप और अमेरिका को यह चिंता थी कि सोवियत संघ (जो उस समय एक शक्तिशाली साम्यवादी देश था) अपने प्रभाव को और विस्तार देगा और पश्चिमी यूरोप पर नियंत्रण प्राप्त करने की कोशिश करेगा।

इन परिस्थितियों में, पश्चिमी यूरोप के देशों और उत्तरी अमेरिका के देशों ने मिलकर एक सैन्य गठबंधन बनाने का निर्णय लिया। इस गठबंधन का मुख्य उद्देश्य सामूहिक रक्षा था, जिसका अर्थ था कि यदि किसी भी सदस्य देश पर हमला होता है, तो इसे सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा और सभी मिलकर उस देश की रक्षा करेंगे।

NATO की स्थापना के समय इसके 12 संस्थापक सदस्य देश थे: बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम, और संयुक्त राज्य अमेरिका।

NATO की स्थापना के तीन मुख्य उद्देश्य थे:

  1. सदस्य देशों की सामूहिक रक्षा सुनिश्चित करना: अगर किसी सदस्य देश पर हमला होता है, तो सभी सदस्य देश मिलकर उसकी रक्षा करेंगे। यह अनुच्छेद 5 में उल्लेखित है, जो NATO का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है।
  2. शांति और स्थिरता बनाए रखना: युद्ध के बाद के युग में शांति बनाए रखना और किसी भी संभावित खतरे को रोकना।
  3. राजनीतिक और सैन्य सहयोग बढ़ाना: सदस्य देशों के बीच राजनीतिक और सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना ताकि वे मिलकर किसी भी खतरे का मुकाबला कर सकें।

इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए NATO ने विभिन्न सैन्य और राजनीतिक तंत्र विकसित किए और समय-समय पर सदस्य देशों के बीच बैठकें आयोजित की जाती हैं। NATO का मुख्यालय बेल्जियम के ब्रुसेल्स शहर में स्थित है।

NATO के उद्देश्यों में से एक वैश्विक स्थिरता और शांति बनाए रखना भी है। इसके लिए यह संगठन संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ जैसे अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर काम करता है। NATO सदस्य देशों के बाहर भी शांति स्थापना मिशनों में भाग लेता है, जैसे कि अफगानिस्तान में ऑपरेशन और कई अन्य स्थानों पर।

NATO ने शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ के खिलाफ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आज भी यह संगठन वैश्विक शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।