सीमा की रक्षा के लिए भारत ने आज अपने हलके युद्धक टैंक ज़ोरावर Zorawar Tank का परीक्षण किया। 2027 तक होगा भारतीय सेना में शामिल होगा।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ( DRDO ) ने गुजरात के हजीरा में अपने हल्के युद्धक टैंक ज़ोरावर का परीक्षण किया। ज़ोरावर को डीआरडीओ और लार्सन एंड टूब्रो ने संयुक्त रूप से विकसित किया है।
डोगरा-तिब्बत युद्ध के दौरान जनरल जोरावर सिंह कहलूरिया ने 1841 में कैलाश मानसरोवर के सैन्य अभियान का नेतृत्व किया था उन्ही के नाम पर टैंक का नाम रखा गया है।
भारतीय सेना के लिए विकसित किए जा रहे इस टैंक प्रोजेक्ट की समीक्षा डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी कामत ने की।इस टैंक को डीआरडीओ द्वारा पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार चीनी तैनाती का मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विकसित किया गया है।
अपने हल्के वजन और उभयचर क्षमताओं के साथ टैंक पहाड़ों में खड़ी चढ़ाई से गुजर सकता है और नदियों और अन्य जल निकायों को भारी वजन वाले टी-72 और टी-90 टैंकों की तुलना में अधिक आसानी से पार कर सकता है। DRDO प्रमुख डॉ कामत के अनुसार, सभी परीक्षणों के बाद वर्ष 2027 तक टैंक को भारतीय सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है।